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दादी जी की आध्यात्मिक जीवन यात्रा

दादी प्रकाशमणि का जन्म हैदराबाद सिंध (पाकिस्तान) में हुआ। पिताजी हैदराबाद के सुप्रसिद्ध व्यापारी एवं ज्योतिषी थे।

1922

ब्रह्माकुमारी संस्था की स्थापना का समय । इस समय दादी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन ईश्वरीय सेवार्थ समर्पित किया।

1937

त्याग तपस्या व आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा जीवन को मूल्यनिष्ठ बनाया। स्वयं सर्वशक्तिवान परमात्मा के सान्निध्य में राजयोग की गहन साधना कर आत्मिक बल अर्जित किया। साथ ही संस्था के बोर्डिंग स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की सेवा की।

1937-50

संस्था का स्थानान्तरण कराची से आबू पर्वत (राजस्थान) में हुआ।

1950

ब्रह्माकुमारी संस्था का प्रतिनिधि मंडल दादी जी के नेतृत्व में 'द्वितीय विश्व धर्मसभा' में भाग लेने जापान गया। छः मास के इस प्रवास के दौरान हांगकांग, सिंगापुर, इंडोनेशिया इत्यादि देशों में जाकर वहाँ के लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान व राजयोग मेडीटेशन का प्रशिक्षण दिया।

1954

भारत के विभिन्न राज्यों में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार किया तथा दिल्ली, पटना, कोलकाता और मुम्बई में नये सेवाकेंद्र खोले ।

1956

मुम्बई के ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेंद्रों की निदेशिका बनीं। लगभग 100 से भी अधिक कॉन्फ्रेंसेस, आध्यात्मिक प्रदर्शनियां व मेले आयोजित किए।

1956 - 61

महाराष्ट्र जोन की निदेशिका बन ईश्वरीय सेवाओं में वृद्धि की।

1964

महाराष्ट्र, गुजरात एवं कर्नाटक जोन की निदेशिका के रूप में सेवाएं दीं।

1965-68

संस्था की मुख्य प्रशासिका नियुक्त हुई । दीदी मनमोहिनी के साथ मिलकर मुख्य प्रशासिका के रूप में संस्था का नेतृत्व किया।

1969

भारत के विभिन्न राज्यों में 50 से अधिक कॉन्फ्रेंसेस का आयोजन दादी जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।

1969 - 84

संस्था की सेवाओं का विदेशों में विस्तार हुआ। दादी जी छः सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल के साथ विदेश सेवा पर गई और विभिन्न देशों में सेवाकेंद्रों की स्थापना की।

1972

दिल्ली के रामलीला मैदान में भव्य विश्व नवनिर्माण आध्यात्मिक मेले का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने मेले का अवलोकन किया और इससे लाभ उठाया। 1976 : 'डिवीनाइज द मैन' कॉन्फ्रेंस का आयोजन मुम्बई में किया गया।

1973

विश्व के पांचों महाद्वीपों में 'पवित्रता के द्वारा विश्व शांति की आशा' कार्यक्रम द्वारा विश्व के राजनीतिज्ञों, धर्म नेताओं तथा अनेक संस्था के प्रमुखों को परमात्म संदेश प्रदान किया गया।

1977

‘वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑन फ्यूचर मेनकाइंड' का आयोजन दिल्ली में हुआ जिसका उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपतिबी. डी. जत्ती ने किया

1978

'वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑन ह्यूमन सरवाइवल' का आयोजन बैंगलोर विधानसभा के बेन्केट हॉल में किया गया।

1980

संस्था को संयुक्त राष्ट्र संघ में गैर सरकारी संस्था के रूप में शामिल किया गया। इसी वर्ष 'द ओरिजन ऑफ पीस' कॉन्फ्रेंस का आयोजन नैरोबी में किया गया।

1981

संस्था की भंगिनी संस्था के रूप में 'राजयोगा एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन' की स्थापना की गई।

1982

प्रथम 'यूनिवर्सल पीस कॉन्फ्रेंस' का आयोजन आबू पर्वत में किया गया जिसका उद्घाटन धर्मगुरू दलाई लामा ने किया।

1983

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप सहित 13 देशों में दादी जी ने दौरा किया और अनेक अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसेस को सम्बोधित किया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पीस मेडल से संस्था को सम्मानित किया गया। द्वितीय 'यूनिवर्सल पीस कॉन्फ्रेंस' उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन राज्यपाल आर. के. त्रिवेदी ने किया।

1984

तृतीय यूनिवर्सल पीस कॉन्फ्रेंस' का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन राजस्थान के राज्यपाल ओ.पी. मेहरा ने किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष को 'ईयर ऑफ यूथ' घोषित करने पर संस्था द्वारा 'भारत यूनिटी यूथ फेस्टिवल तथा युवा पदयात्रा' का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैल सिंह द्वारा किया गया।

1985

संस्था का गोल्डन जुबली वर्ष मनाया गया। चौथे 'यूनिवर्सल पीस कॉन्फ्रेंस' का आयोजन किया गया। 88 देशों में 'मिलियन मिनट्स ऑफ पीस' कार्यक्रम की लॉचिंग की गई।

1986

संस्था को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 'पीस मैसेंजर अवार्ड' प्रदान किया गया। संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल ने दादी जी को अवार्ड भेंट किया। प्रथम 'इंटरनेशनल होलिस्टिक हेल्थ कॉन्फ्रेंस' का आयोजन आबू पर्वत में किया गया।

1987

'ग्लोबल कोऑपरेशन फॉर ए बेटर वर्ल्ड' नामक 2 साल के अन्तर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट की लॉचिंग की गई जिसके अन्तर्गत 122 देशों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। 'ऑल इंडिया स्प्रिच्युल कॉन्फ्रेंस' का आयोजन आबू पर्वत में किया गया जिसका उद्घाटन बद्रिकाश्रम के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती ने किया।

1988

अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 'ग्लोबल कोऑपरेशन फॉर ए बेटर वर्ल्ड' का आयोजन आबू पर्वत में किया गया जिसका उद्घाटन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. राय ने किया। ‘ऑल इंडिया मोरल अवेकनिंग यूथ केम्पेन' का आयोजन दिल्ली में किया गया जिसका उद्घाटन उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा ने किया।

1989

द्वितीय 'ग्लोबल को ऑपरेशन फॉर ए बेटर वर्ल्ड' नामक अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किया गया। तृतीय 'इंटरनेशनल होलिस्टिक हेल्थ कॉन्फ्रेंस' का आयोजन बेलगाम में किया गया। 'ऑल इंडिया एन्वायरमेंट अवेयरनेस केम्पेन' का आयोजन किया गया।

1990

लंदन में संस्था के ग्लोबल कॉर्पोरेशन हाउस तथा आबू पर्वत में ग्लोबल हॉस्पिटल का उद्घाटन किया गया। दादी जी यूरोप व दक्षिण-पूर्व एशिया के दौरे पर गईं जहाँ उन्होंने अनेक कार्यक्रमों को सम्बोधित किया।

1991

दादी जी रशिया के दौरे पर गई। दादी जी को मुम्बई के प्रियदर्शनी एकेडमी द्वारा प्रियदर्शनी अवार्ड से सम्मानित किया गया। मोहनलाल सुखाड़िया वि.वि., उदयपुर द्वारा दादी जी को डाक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया । येल्लापुर में हाईस्कूल की टीचर्स के लिए टीचर ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन किया गया।

1992

'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन यूनिवर्सल हार्मनी' का आयोजन आबू पर्वत में किया गया जिसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिह राव ने किया। युवा सद्भावना सायकल यात्रा का आयोजन भारत के 8 स्थानों से किया गया। 1994: स्वास्थ्य मेलों का आयोजन पूरे भारत में किया गया।

1993

इंडो-नेपाल हेल्थ अवेयरनेस केम्पेन का आयोजन किया गया।

1996

दिल्ली से जमशेदपुर व दिल्ली से हैदराबाद तक नशामुक्ति अभियान निकाले गए। 1999-2000 : भारत के 24 मुख्य शहरों से 24 ज्योतिर्लिंगम रथयात्राएं निकाली गईं। सभी रथयात्राओं का अंतिम पड़ाव आबू पर्वत था । इसका भव्य समापन आबू पर्वत में किया गया।

1999

'इंटरनेशनल ईयर फॉर द कल्चर ऑफ पीस - मेनिफेस्टो 2000' कार्यक्रम के अन्तर्गत पूरे भारत से 3 करोड़ लोगों से फार्म भरवाए गए। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने भी अपने फार्म भरकर इस अभियान में योगदान दिया।

2000

पूरे भारत में विश्व बंधुत्व व सद्भावना की भावना को लेकर मेगा प्रोग्राम आयोजित किए गए।

2001 - 03

युवा एवं खेल मंत्रालय के सहयोग से संस्था के युवा प्रभाग ने भारत की सात राजधानियों में युवा महोत्सव आयोजित किए।

2004

'लीविंग स्प्रिच्युअलिटी फॉर ए वैल्यू बेस्ड सोसायटी' अभियान के अन्तर्गत पूरे भारत में कार्यक्रम आयोजित किए गए।

2005 - 06

'शांति एवं शुभभावना' अभियान चलाया गया । 'वर्ल्ड पीस फेस्टिवल' का आयोजन दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 27 अक्टूबर से 5 नवम्बर, 2006 तक किया गया।

2006 - 07

'दिव्यता, आशा एवं खुशी' कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत के हर शहर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारत के जगद्गुरु, महामण्डलेश्वरों तथा संतजनों के लिए 'आध्यात्मिक कार्यक्रम' का आयोजन किया गया। पर्यावरण संकट पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम सम्पन्न हुए।

दादी ने 25 अगस्त 2007 को अपने पार्थिव देह का त्याग किया। प्रत्येक वर्ष इस दिन को ब्रह्माकुमारिज़ इंटरनेशनल हाफ मैराथन के माध्यम से "विश्व बंधुत्व दिवस" के रूप में मनाती है। इंटरनेशनल हाफ मैराथन का उद्देश्य सभी के बीच एकता और अखंडता का संदेश फैलाना है। "दादी प्रकाशमणि माउंट आबू इंटरनेशनल हाफ मैराथन" को एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल मैराथन एंड डिस्टेंस रन (AIMS) द्वारा "इंटरनेशनल मेजरमेंट सर्टिफिकेट" से प्रमाणित किया गया है। AIMS 1982 में स्थापित लंबी दूरी की दौड़ के आयोजकों का एक संघ है जिसके 450 से अधिक सदस्य 120 से ज़्यादा देशों में डिस्टेंस दौड़ किये जा चुके हैं।

ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो चले जाने के बाद भी दूसरों को प्रेरित करते रहते हैं। हमारी प्यारी दादी प्रकाशमणि ऐसे ही अमूल्य रत्नों में से एक हैं जो अपनी यादों के माध्यम से अमर रहती हैं।

2007 - 08

Adi Ratan - Instruments

The deeper the roots of a tree, the stronger and more durable it is. Similarly, how deep are the roots of renunciation and tapaya of the people who run any organization, that organization is equally powerful, long-lived and free of obstacles. Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya is a unique organization in this sense. Each and every founding member of this organization (Adi Ratna), are such ascetics who, keeping themselves, their sacrifices a secret, tirelessly, selflessly under the guidance of the Almighty, did spiritual service for humanity.