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एक दिन दोपहर बारिश हो थी। सदाबहार के फूल के ऊपर ओस की बूंदें थी। प्रकृति का असली हीरा (लिविंग डायमंड)। यह वो अमूल्य हीरा हैं जो हर जगह नहीं मिलता और न ही हर किसी को मिलता है इस हीरे को देखने के लिए सच्चे मन की नजर चाहिए। बस इस हीरे को जमा कर कोई रख नहीं सकता। वो कुछ देर के लिए होता है। फूल ने खुद को समर्पण कर दिया था प्रकृति के दूसरे तत्वों (हवा, पानी) को बारिश तेज होने लगी फूल गिर कर मर भी सकता था। परंतु उस फूल ने प्रकृति के दूसरे तत्वों को खुशी से स्वीकार किया उन्हीं के रूप में जिस समय प्रकृति के दूसरे तत्व जिस प्रकार का भी रूप लेते हैं, प्रकृति के अन्य तत्व उन्हें स्वीकार कर लेते हैं। उस समय फूल ने खुद की मृत्यु भी स्वीकार कर ली। अपने जीवन को खीचने की कोशिश नहीं की, ना उसने लड़ाई की, ना बचाने की कोशिश की। उस फूल ने अपना जीवन अपने सच्चे स्वभाव में रहकर व्यतीत किया, जिसकी वजह से मृत्यु को वह स्वीकार कर पाया सुंदरता और उल्हास से मृत्यु भी उतनी ही सुंदर है जितना जीवन । यह एक परिस्थिति है जिस में आत्मा अपने आगे के सफर के लिए जाती है। मनुष्य आत्माएं जब अपना जीवन अपने सच्चे स्वभाव में व्यतीत करती है तो उनका जीवन खुशी, संतुष्टि, प्रेम, शांति से भर जाता है। उनके जीवन में आनंद और सुंदरता आती है। जब जीवन इतना सुंदर होगा, तब मृत्यु को भी स्वीकार कर पाएंगे। प्रकृति से प्रेरणा लेकर हम अपनी स्वीकार करने की शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
जिस तरह आसमान में बादल चलते हैं, उसी तरह मनुष्य के मन में विचार चलते हैं। आसमान में बादल आते जाते रहते हैं हर प्रकार के हर ऋतु के अनुसार परंतु आसमान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह उन्हें साक्षी होकर देखता है। इसी तरह हमारे मन में भी विचार आते जाते रहते हैं हर प्रकार के, हमें उन्हें साक्षी बन कर देखना है। उनमें उलझना नहीं है न्यारा होकर रहना है जैसे हवा बादलों का रुख देती है, वैसे ही हमारी बुद्धि हमारे विचारों को रुख देती है। बादल तो आसमान की सुंदरता को बढ़ाते हैं। हमारे विचार भी हमारी जीवन की सुंदरता को बढाते हैं। हमारे विचारों से वायुमंडल पर प्रभाव पड़ता है, हर प्राणी पर पड़ता है। आसमान का रंग जब बदलता है तब कितना खूबसूरत लगता है देखना | उसी तरह जब हम परमात्मा से जुड़ते हैं, हमारी आत्मा भी सुंदर बन जाती है। आत्मा के 7 गुण, रेनबो के जैसे है। इन गुणों को अपना कर हमारे विचार श्रेष्ठ बन जाते हैं। वह 7 गुण है- प्रेम, आनंद, शक्ति, ज्ञान, शांति, पवित्रता और खुशी इन गुणों के रंगों से हमें भी अपना जीवन खूबसूरत बनाना है।
जिस तरह मनुष्य शरीर में मस्तिष्क है, उसी तरह प्रकृति का मस्तिष्क पेड़ है। पेड़ सुंदर रचना है प्रकृति की। पेड़ों से ही जीवन संभव है धरती पर पेड़ खुद से हलचल नहीं कर सकते परंतु जब हवा का साथ मिलता है तो उसी पेड़ में हलचल होती है मानो जैसे पेड़ों के पत्ते खुशी में नाच रहे हैं। इन पत की जो आवाज आती है वही प्रकृति का असली संगीत है। परंतु जब हवा नहीं लगती है तब पेड़ उनका इंतजार करते हैं। भले ही उन्हें पूरी जिंदगी इंतजार करना पड़े। उस इंतजार में अपेक्षा नहीं होती है। प्रकृति में जो भी परिस्थिति आती है, पेड़ अपनी ही जगह पर रह कर उनसे सामना करते हैं। अपनी आंतरिक शक्तियों में रहकर किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। पेड़ों का नेटवर्क धरती के अंदर होता है। धरती के अंदर ही वे एक दूसरे से जुड़े हुए रहते हैं। बड़े पेड़ छोटे पौधों की पालना करते हैं। जब एक पेड़ जख्मी हो जाता है तब दूसरे पेड़ उसे अपनी ऊर्जा भेजते है और उसने ठीक होने में मदद करते है। जब कोई खतरा आस पास होता है तब वह उन्हीं नेटवर्क के द्वारा एक दूसरे को संदेश पहुंचाते हैं। सहयोग देते हैं एक दूसरे को पेड़ों के अंदर खुद को बचाने की समझ है। जब हम पेड़ों के आसपास जाते हैं तब पेड़ हमारी ऊर्जा ( वाइब्रेशन) को महसूस करते हैं और अपने अंदर लेते हैं। ऊर्जा के द्वारा वह हमसे बात करते हैं। पेड़ अपनी उर्जा को ऊपर की ओर लेते है। जितनी गहराई में उनकी जड़े होती है उतना ही ऊंचाई में वो जाते हैं। हमारी वाइब्रेशंस का प्रभाव इन पर पड़ता है। यह हमारा कर्तव्य है कि हमारे वाइब्रेशंस पवित्र, और श्रेष्ठ हो। पेड़ अनेक पशु-पक्षियों का घर है। उनका जीवन है पेड़। कह सकते हैं उनके लिए उनका यूनिवर्स है। उन पशु पक्षियों की ऊर्जा, पेड़ों की ऊर्जा हमें मिलती है, जब हम इनके साथ वक्त बिताते हैं। हर एक पशु अपना घर खुद बनाता है। बहुत सुंदरता से बनाता है। प्रकृति के ये आर्किटेक्ट, इंजिनिअर है। वह बस अपने रहने के लिए घर बनाते है। उसमें कुछ जमा नहीं करते। कभी उन्हें देखा है आपने डिग्री लेते हुए इन सब में जैसे हम लेते है ? कभी उन्हें देखकर आपको चिंता महसूस हुई है ? नहीं। इनकी मधुर आवाज मन को सुकून और शांति का अनुभव करवाती है। इन पक्षियों की ऊर्जा, पेड़ों की उर्जा हमें मिलती है। हमारी ऊर्जा उन्हें मिलती है। यह कभी भी अपने लिए कुछ जमा कर कर नहीं रखते। आज में जीते हैं। अगले पल की भी उन्हें चिंता नहीं रहती । मनुष्य आत्माओं के पास सब कुछ है, फिर भी वह अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है। अगर हम खुद को प्रकृति से जोड़ते हैं, तब हम बहुत कुछ सीख जाते हैं। हम इकट्ठा करना बंद करें, (यादें, चीजें, वास्तु, आदि) तब हम स्वयं को मुक्त और हल्का कर देते हैं। प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। जीवन अभी और इसी पल में है।
जीवन के विभिन्न रूप है। प्रकृति के हर एक तत्व में जीवन है। हम भी प्रकृति से ही बने हुए हैं। रचयिता ने सबकी रचना प्यार से की है। हमारा बस रूप अलग है। हम भी उन्हीं तत्वों से बने हैं जिन तत्वों से अन्य प्राणी बने हैं। हम प्रकृति से जुड़े हुए हैं। उनकी भाषा मनुष्य की भाषा से अलग है। जब हम प्रकृति में जाकर वक्त बिताते हैं तब हमें इनकी भाषा समझ आने लगती है। भाषा सिर्फ शब्दों की नहीं होती। एक भाषा से हम एक दूसरे को समझ सकते हैं। वह भाषा है प्रेम और शांति की।
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