भगवान हमारा साथी है
हम हृदयंगम करते (दिल से कहते ) हैं कि भगवान हमारा साथी है। भगवान हमारा साथी बना, उसने कब, कैसे साथ दिया यह अनुभव सबको
हम हृदयंगम करते (दिल से कहते ) हैं कि भगवान हमारा साथी है। भगवान हमारा साथी बना, उसने कब, कैसे साथ दिया यह अनुभव सबको
18th January, Smriti Divas (Day of Remembrance) is one of the most celebrated occasions across all the centres of Brahma Kumaris in the world. On
ये वृतान्त सन् 1953 का है। तब इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय का मुख्यालय भरतपुर के महाराजा की ‘बृजकोठी’ में स्थित था। यह कोठी आज भी
प्रकृति का शाश्वत नियम है रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आने का। ठीक उसी तरह जब-जब मानव अपने धर्म-कर्म-मर्यादाओं से गिर
प्रसन्नचित्त यह घटना जून 1956 की है| जब बाबा की शारीरिक आयु 78 से 79 वर्ष की होगी| अनायास ही बाबा को एक शारीरिक व्याधि
साकार ब्रह्मा बाबा के जीवन पर जब मन की नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि उन्होंने हर पल, हर श्वास दूसरों को दिया ही
So invaluable was Godly knowledge to Baba that he had given clear instructions that the literature thereon should not be sold, for selling according to
Whilst in Karachi, Brahma Baba taught knowledge to the growing family of children, teaching through example as much as through precept. And with the power
His whole life‐story is by itself a story of the highest form of spiritual love. Just as a lover or a beloved offers his or
एक बाबा ही हमारा संसार है। गीत के थोड़े-थोड़े शब्दों में भी बहुत दफा बहुत ज्ञान भरा हुआ रहता है। एक बाबा ही हमारा संसार
His whole life‐story is by itself a story of the highest form of spiritual love. Just as a lover or a beloved offers his or
कहा जाता है कि भगवान ने मानव को अपने जैसा बनाया अर्थात् अपने समान गुणों से संपन्न देवी-देवता बनाया परन्तु समय अनवरत गति से बहता
When we mention the birth place of Brahma Baba, we say that he had his physical birth in Sindh. But, his personality and character were
Brahma Baba’s life and acts have left, in the minds of those who came in touch with him, very happy and cherished memories of the
Dada Lekharaj was born in a village in Sindh Hyderabad, now Pakistan. He had a spiritual bent of mind. Due to his hard work and
ब्रह्मा बाबा अपने लौकिक जीवन में खिदरपुर के बादशाह के रूप में प्रसिद्ध थे। उनके घर पर चार-चार सेविकाएँ थीं और भारत भर में कई
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा के नाम से आज जन-जन भिज्ञ हो चुका है। सन् 1937 से सन् 1969
Precious Collection of old Pictures
Precious Memories with Baba by Adi Ratan
Tribute to our founding father Brahma Baba
Know more about Brahma Baba 's Journey
Animated documentary & Videos
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